Friday 24 April 2015

भगवान कौन ?

"ओम नमो भगवते वासुदेवाय" सभी धार्मिक लोगो का मानना है कि भगवान वासुदेव ही भगवान है कोई राम जी को कोई महादेव जी को भगवान मानता है कोई भगवान महावीर को मानता है लेकिन ये लोग भगवान है या भगवान के रूप है , भगवान का रूप तो चिकित्सक को भी कहा जाता है तो चिकित्सक भगवान हो गया, माँ को भी धरती पर भगवान का रूप कहा गया है तो क्या माँ भी भगवान हो गई, फिर लोग ये भी कहते सुने गये है कि भगवान साकार और निराकार रूप मे है सब रूप है सच मे भगवान कौन है? यह सही सही पता नही चल सका है जब रूप की बात आती है तो रूप तो एक समानता बताने वाला शब्द है न कि असली , सत्य क्या है मै इस खोज मे निकला हुँ, मेरे जैसे लाखो लोग इस सत्य की खोज मे भटक रहे है कोई हिमालय की कंद्राओ मे भटक रहा है कोई मंदिर मंदिर भटक रहा है, कई लोग दिगंबर धारण किये पुरी धरा पर भटक रहे है
मै रोज ध्यान  लगाता हुँ कि भगवान दिख जाये लेकिन भगवान की जगह दिन भर की समस्याओ के दर्शन होते है मुझे समझ मे नही आता कि क्या किया जाये , फिर सोचता हुँ क्या जरूरत है मुझे सत्य की खोज करने की,पर मन नही मानता वह कहता है कि खोज तो करनी ही चाहिये, किसी गुरू का सहारा लेना चाहिये गुरू को मालूम है कि भगवान कौन है और सत्य क्या है लेकिन क्या सच मे गुरू ये सब जानता है कि सत्य क्या है फिर वह स्वम क्यो भटक रहा है जानने के बाद तो  भटकाव बंद हो जाना चाहिये,
गुरू कौन है किसे गुरू बनाये यहा भी कहते है कि मनुष्य की प्रथम गुरू माँ होती  है, कोई कहता है जो ज्ञान पिता से मिलता है वही सच्चा ज्ञान होता है,सच मे पिता ही असली गुरू होता है, मैं ने एक जगह पढा था कि "कृष्णम वंदे जगद्गुरू" जगत के गुरू कृष्ण का वंदन करो, घोर समस्या है कि माता - पिता भगवान है या गुरू है, वासुदेव  यानी कृष्ण भगवान है या गुरू है , यह भटकाव है थोडा आप भी भटको और मुझे भी भटकने दो अगली पोस्ट मे फिर मिलते है इसी प्रश्न को लेकर कि भगवान कौन ?

Friday 3 April 2015

मेरा धर्म.....

आजकल धर्म पर बहुत बवाल हो रहा है चारो ओर लोग धर्म की हि बात करते नजर आते है कोई कहता है सब हिंदु है कोई कहता है सब मुस्लिम है कोई कहता है सब ईसा की संतान है किसी किसी मे देशभक्ति भरी पडी है वह कहता है कि देश पर मर मिटना ही धर्म है कोई मानवतावादि है तो कहता है सबका एक ही धर्म है मानवधर्म, इस तरह "मुंडे र्मुंडे मति र्भिन्ना" वाली बात हो रही है अब मै भी कोई ना कोई बात रखुंगा और कहुंगा कि यही धर्म है कुछ लोग मेरी बात मानेंगे और मेरे अनुयायी हो जायेंगे और वही धर्म स्विकार करके वह इस धर्म के गुणगान करने लगेंगे और फिर शुरू हो जायेगा नयाधर्म...
सच मे मेरा धर्म क्याहै यह प्रश्न फिर भीबना ही रहेगा कुछ लोग ये भी कहते देखे गये है यह काम करने से धर्म होता है तो फिर ये कोनसा धर्म है कुछ लोग कहते हैकि यह तो धर्म का काम था जैसे किसी के प्राण संकट मे थे और उसे बचा लिया गया तो बोलते है कि बडा ही धर्म का काम किया है यदि कोई जंगल मे प्यास से तडफ रहा है और उसे किसी ने पानी पिला दिया तो कहते है यह तो बडा ही धर्म-पुन्य का काम है ये सब कोनसे धर्म है ?
कुछ कुछ समझ मे आ रहा है क्या? जहाँ तक मेरी समझ मे आया है कि ये सब अच्छे कर्म को ही धर्म कह रहे है जो हिंदु,मुस्लिम आदि का जिक्र किया गया है वह इन अच्छे कर्मो की नियमो की संस्था है और ये अच्छे कर्म ही धर्म है " dharm means well being" बस जो अच्छा है प्रकृति के अनुसार है वह धर्म है आज बस इतना ही ... धर्म चर्चा जारी रहेगी अगली पोस्ट तक इंतजार करे