Friday 3 April 2015

मेरा धर्म.....

आजकल धर्म पर बहुत बवाल हो रहा है चारो ओर लोग धर्म की हि बात करते नजर आते है कोई कहता है सब हिंदु है कोई कहता है सब मुस्लिम है कोई कहता है सब ईसा की संतान है किसी किसी मे देशभक्ति भरी पडी है वह कहता है कि देश पर मर मिटना ही धर्म है कोई मानवतावादि है तो कहता है सबका एक ही धर्म है मानवधर्म, इस तरह "मुंडे र्मुंडे मति र्भिन्ना" वाली बात हो रही है अब मै भी कोई ना कोई बात रखुंगा और कहुंगा कि यही धर्म है कुछ लोग मेरी बात मानेंगे और मेरे अनुयायी हो जायेंगे और वही धर्म स्विकार करके वह इस धर्म के गुणगान करने लगेंगे और फिर शुरू हो जायेगा नयाधर्म...
सच मे मेरा धर्म क्याहै यह प्रश्न फिर भीबना ही रहेगा कुछ लोग ये भी कहते देखे गये है यह काम करने से धर्म होता है तो फिर ये कोनसा धर्म है कुछ लोग कहते हैकि यह तो धर्म का काम था जैसे किसी के प्राण संकट मे थे और उसे बचा लिया गया तो बोलते है कि बडा ही धर्म का काम किया है यदि कोई जंगल मे प्यास से तडफ रहा है और उसे किसी ने पानी पिला दिया तो कहते है यह तो बडा ही धर्म-पुन्य का काम है ये सब कोनसे धर्म है ?
कुछ कुछ समझ मे आ रहा है क्या? जहाँ तक मेरी समझ मे आया है कि ये सब अच्छे कर्म को ही धर्म कह रहे है जो हिंदु,मुस्लिम आदि का जिक्र किया गया है वह इन अच्छे कर्मो की नियमो की संस्था है और ये अच्छे कर्म ही धर्म है " dharm means well being" बस जो अच्छा है प्रकृति के अनुसार है वह धर्म है आज बस इतना ही ... धर्म चर्चा जारी रहेगी अगली पोस्ट तक इंतजार करे

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