Thursday 2 June 2016

अभी भटक रहा हुँ..

Abhi Bhatak Raha Hu...

         आज जब सुबह सुबह ही मन मे एक विचार आया कि मै क्यो किस लिये भटक रहा हुँ जबकि मेरे पास सब कुछ है जब तक खुद का ज्ञान नही होता तब तक ही भटकाव है खुद को जान जाने के बाद भटकाव बंद हो जाता है कैसे जाने खुद को, कौन बतायेगा खुद की जानकारी,

         मै ने ऐसा सुना है कि प्रत्येक मनुष्य के पास एक ऐसी विशेष बात होती है जो केवल उसी के पास होती है वह युनीक होती है दुसरे के पास वह नही होती है मेरे पास कोनसी चीज है जो मेरे ही पास ही है जब मुझे इस बात की जानकारी हो जायेगी तो मै उस काम को बहुत ही मन से करने लग जाउंगा, कहते है जिस काम मे सबसे ज्यादा मन लगे वही खास बात है जो आपको आगे ले जाती है, अब समझ मे नही आता कि किसी किसी को तो शराब सेवन करने मे ही मजा आता है, किसी किसी को लोगो की चुगली करने मे ही मजा आता है तो क्या भगवान ने उनको वही खास योग्यता दी है,


         मै रोज ध्यान लगा कर इसी बात पर चिंतन करता रहता हुँ कि मुझे ऐसी क्या योग्यता दी है जो सिर्फ मुझमे ही है, लेकिन अभी तक मुझे पता नही चला है, रामचरितमानस मे सुंदरकांड मे सीता मैया की खोज करते समय जब हनुमान जी चुपचाप बैठे थे तब जामवंतजी कहते है “राम काज लगी तव अवतारा” अर्थात हे हनुमानजी तुम्हारा जन्म राम जी के काम के लिये ही हुआ,

        एक बात और है कि रामजी ने अपनी निशानी सिर्फ हनुमानजी को ही दी थी तो क्या उन्हे पता था कि बस हनुमान जी ही खोजने मे सफल होंगे,

        ये भगवान जी की दी हुई जो अंगुठी है यह ही वह खास योग्यता है यही वह निशानी है जो सभी के पास होती है और उस कामको सिर्फ हम ही कर सकते है, दुसरा नही कर सकता बस पता बताने वाला मिल जाये या फिर खुद को ही पता लग जाये कि मेरे मे यह योग्यता है फिर चारो तरफ तरक्की ही तरक्की है,

        यह भटकाव है कभी कोई जामवंत जैसा गुरू मिलेगा और वह बतायेगा कि तेरा जन्म तो इस काम के लिये हुआ है, तब पता चलेगा कि मै इस काम का खास जानकार हुँ, अभी तो मै भटक ही रहा हुँ ...   

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