Sunday 20 November 2016

परिवर्तन

जो कर्म हम रोजाना करते है, उसका फल हमें अवश्य ही मिलता है । मैं जब भी इस बात पर विचार करता हूँ तो परम पूज्य गुरुदेव की कही हुई बात याद आ जाती है । उन्होंने कहा था -  बेटा ! कर्म फल को तो भोगना ही  पडेगा जब हम कर्म समाप्ति कर लेते है अर्थात जब अंत समय आ जाता है तो कर्मो की फ़ाइल खुल जाती हैं। जितना जिसका लेखा जोखा होता है उसे उतना फल मिल जाता है । मैं ने मेरे जीवन में दो वर्ष तक पाप किये है और मुझे पूरा आभाष है मैं दो वर्ष तक इस पाप को भोगने के बाद ही इस जीवन से मुक्त हो सकूँगा । और यह सच भी हुआ । गुरुदेव ने यह बात मुझे 9 अगस्त 2004 में कही थी जब उनका पैर फेक्चर हो गया था और ठीक दो साल बाद 23 अगस्त 2006 को गुरूदेव देव लोक को चले गए। इस समयावधि में गुरुदेव ने बहुत ही रोगों से तथा कठिनाइयों से दो दो हाथ किये थे । हम सब उनकी सेवा में तत्पर रहते थे तो वे कहते ये मेरे पुण्यो का फल भी भगवान की कृपा से साथ साथ मिल रहा है ।

आज एक वृद्ध व्यक्ति मिला उसने भी जब यही बात कही कि - मुझे आभास हो रहा है कि मुझे सब मेरे कर्मो का फल मिल रहा है । मैं इस पर विचार करने को विवश हो गया ।

जब हमें आभास हो जाता है कि जो कर्म हम कर रहे है उनका फल हमें अवश्य ही भोगना पड़ेगा , तो फिर क्यों न हम अपने आप में परिवर्तन लाकर कर्म को अच्छा ही बनाये ।

अपने आप में परिवर्तन लाना  बहुत ही कठिन काम है। हमारा शरीर दस इंद्रियों के जाल में  फंसा हुआ है । ऊपर से यह एक मन और है जो इन सब का राजा है । हम जो चाहे वह हमें करने नही देता उल्टा अपनी मर्जी से हमें  चलाता है । बहुत चिंतन मनन और ध्यान करने के बाद ही पता चला कि इस संकट को सिर्फ गुरू ही दूर कर सकते है ।

जब तक खुद में परिवर्तन नही आएगा तब तक भगवान् से मिलना नही हो सकता यह कर्म की गति आगे बढ़ने से अवश्य ही रोकती है । कर्मफल से पार पाने का एक ही रास्ता है गुरू के प्रवचन ।

गुरूदेव के दिए गए प्रवचन को याद किया उन्होंने कहा था - बेटा वेद ! विचार और विकार दोनों मन में ही पैदा होते है । जो अच्छे भाव है वे एक विचार है । और जो बुरे भाव है वे विकार है। यदि मनुष्य संकल्प के साथ विचार को सृदृढ़ किया जाये तो मन विकारो से मुक्त हो जाता है । मैंने आज यह संकल्प लिया है कि मैं अपने आप में परिवर्तन लाऊंगा और अपने विचारों को अच्छे काम में लगाने के लिए सुदृढ़ करूँगा।

आप भी मेरी इस यात्रा के सहयात्री बने  रहना । मैं आप लोगो से मेरे अनुभव शेयर करूंगा । और हम सब अच्छे अच्छे कर्म करके निश्चित रूप से परमात्मा को प्राप्त कर लेंगे ।

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